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कथावाचक आसाराम बलात्कार के आरोपी …. पता नहीं ये कितना सच है कितना झूठ। लेकिन वर्तमान समय में बलात्कार की घटनाये आम हो गई हैं। बल्कि आम आदमी तो दूर, ब्रह्मचर्य का पाठ पढाने वाला साधू जो वह दिन रात ब्रह्मचर्य समझा रहा है और उतना ही कामुक होता जा रहा है। असल में यह भारतीय संस्कृति का नतीजा है जिसमे ब्रह्मचर्य के इतने उपदेश पिलाये जा रहे हैं कि सारी व्यवस्था अप्रकर्तिक हो गई है। जो मनुष्य के व्यक्तिव के बिलकुल विपरीत है। हमारी संस्कृति ने मानव की प्राकर्तिक व्यवस्था को इतना दबा दिया है कि आदमी को एक साधारण स्त्री भी अप्सरा दिखाई पड़ती है। समाज और संस्कृति के कारण मनुष्य अपने आप को बाहर से तो समझा लेता है लेकिन फिर वह हजार tarah के उल्टे रास्ते खोजता है और इसका परिणाम आज दिखाई देता है। हिन्दुस्तान समाज आज मॉडर्न तो हो रहा है लेकिन चित्त तो पुराना ही है, मानव वृत्ति तो वही है। क्यूंकि यह अभी तक पुराने को पकडे हुए है। यह मुल्क दो नांवो पर सवार है। जब तक यह समाज पुराने को नहीं छोड़ेगा तब तक नए में प्रवेश करना मुस्किल है।
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